अवसर की ताक में

एक भला मानुष पेड़ पर चढ़कर परिस्थिति का शिकार हो गया।

,इस लोक को छोड़कर परलोक चला गया ,
देखने वाले अपनी -अपनी रोजी -रोटी सेंकते रहे ,
फोटोग्राफर स्टेप बाई स्टेप फोटो खींचते रहें,
,रिपोटर स्टेप बाई स्टेप रिपोर्ट बनाते रहे,
आवश्यकतानुसार मिर्च -मसाला डालतेरहे ,
,नेताजी भाषण में मशगूल रहे ,
अपोजिशन अवसर की ताक में लगे रहें ,
समाज -सेवक आवाज़ बुलंद करने में लगे रहे,
,आमआदमी तमाशा समझ देखते रहे ,
किसी को सूध नही ,किसी की सोच नहीं ,
कि परिस्थिति का शिकार आदमी को है ,
किसी मददगार का इंतजार। ……

कसूरवार कौन ?

पैसे से जो भरी है , सजा से वो बरी है।
गलती तो गरीब की है ,जो वो फुटपाथ पे पड़ी है
सलमान का क्या कसूर कसूरवार वो नूरुल्ला शरीफ है
उसे न सलमान ने मारा , न ड्राइवर ने मारा।
असलियत में उसे गरीबी ने मारा।
कुसूर तो उसी का है ,जो वो गरीब है।
कुसूरवार तो गरीबी है।
हकीकत तो यह है ,
नशा सलमान ने नही ,कार ने किया था,
वो कार ही है, जो झूमते हुए,
उस गरीब से जा भिड़ी।
कुसूरवार तो वो कार ही है।
असलियत में कुसूरवार है वो घड़ी ,
जिससे उस गरीब को फूटपाथ में सोने की जरूरत पड़ी।
कुसूरवार तो वो घड़ी ही है।
वो गरीब चला था ,अपनी एक रात बिताने ,
उसे क्या पता था ,वो रात ही उसे बिता देगी।
कुसूरवार तो वो रात ही है।
वो चला था, कल को देखने की ख़्वाहिश लिए।
वो कल ही, उसका काल बन गया।
कुसूरवार तो वो कल ही था।
सोया था वो ,चाँद की रौशनी में ,आसमां तले।
आने वाले कल के सूरज को निहारने के लिए।
उसे क्या पता था ,आज का डूबा हुआ सूरज ही,
उसे अपने साथ ले डूबेगा।
कुसूरवार तो वो डूबा हुआ सूरज ही है।
जज का फैसला यही ,सलमान सही।
सुरक्षा-गार्ड की गवाही भरोसे के काबिल नही।
क्यों ? क्योकि वो सलमान नही सुरक्षा-गार्ड है।
सच है भाई, न्याय की तराजू में ,
छोटे बड़े का भेद नही ,
छोटा ,छोटा है ,बड़ा ,बड़ा है।
ईश्वर के दरबार में देर है ,अंधेर नही.
भले ही इंसाफ इंसान को यहाँ नही मिला,
ईश्वर के दरबार में जरूर मिलेगा।