चाउर पिसान के अंगाकर ,
दिखथस अड़बड़ सुघ्घर-सुघ्घर,
गुरतुर-गुरतुर हवय तोर सुवाद ,
छतीसगढ़ीया मन बर,
हस ,तै खास,
तोर संग मिल जवय ,
आमा के अथान
अउ
पताल मिरचा के चटनी ,
तहा ले का पूछे बर हे,
तोला देख के जीभ ह लभलभथे ,
थोड्को धीर नई धरय,
तावा ले उतरे के पहलीच ले ,
मुहू में चले जाथे ,
तहा ले ,
सास ह अड़बड़ खिसियाथे ।
जम्मो घर भर ,तोर अड़बड़ हे पूछारी ,
अउ का कहव संगवारी ।